दुर्गा पूजा रांची 2025: श्री रामलला पूजा समिति और श्री स्वामीनारायण मंदिर पूजा की भव्यता

रांची में दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। हर साल शहर के अलग-अलग हिस्सों में पंडाल सजते हैं और माँ दुर्गा की प्रतिमाएँ भक्तों को दर्शन देती हैं। इन्हीं प्रमुख आयोजनों में शामिल हैं श्री रामलला पूजा समिति और श्री स्वामीनारायण मंदिर, जो साल 2025 में अपनी भव्यता और अनोखी सजावट के लिए श्रद्धालुओं को आकर्षित करेंगे।
श्री रामलला पूजा समिति, रांची 2025
श्री रामलला पूजा समिति का आयोजन रांची की लोकप्रिय दुर्गा पूजाओं में गिना जाता है। यहाँ भव्य पंडाल और आकर्षक प्रतिमा भक्तों के बीच आस्था और उत्साह का वातावरण बना देते हैं।
विशेषताएँ:
- थीम आधारित पंडाल सजावट जो हर साल दर्शकों को नया अनुभव देती है।
- माँ दुर्गा की प्रतिमा अद्भुत श्रृंगार और अलंकरण से सजी होती है।
- धार्मिक अनुष्ठान और आरती सुबह-शाम भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव कराते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं।
- प्रसाद और भोग श्रद्धालुओं को वितरित किए जाते हैं।
श्री स्वामीनारायण मंदिर, रांची 2025
श्री स्वामीनारायण मंदिर का दुर्गा पूजा आयोजन अपने पवित्र माहौल और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ माँ दुर्गा की पूजा पारंपरिक विधि-विधान से की जाती है।
विशेषताएँ:
- आध्यात्मिक वातावरण: मंदिर परिसर में पूजा-पाठ और मंत्रोच्चारण से अद्भुत शांति का अनुभव होता है।
- भक्ति संगीत और भजन: भक्तों के लिए भक्ति गीत और कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
- पारंपरिक विधि से पूजा: यहाँ पूजा पूरी तरह शास्त्रीय विधि से सम्पन्न होती है।
- श्रद्धालुओं की भीड़: रांची और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं।
दुर्गा पूजा 2025 की तिथियाँ
पूरे रांची में दुर्गा पूजा का आयोजन 30 सितम्बर (महाष्टमी) से 4 अक्टूबर (विजया दशमी) तक होगा।
आगंतुकों के लिए सुझाव
- मंदिर और पंडाल दर्शन के लिए भीड़भाड़ से बचने हेतु सुबह या दोपहर का समय चुनें।
- शाम के समय पंडाल और मंदिर परिसर की सजावट और लाइटिंग का आनंद ज़रूर लें।
- सुरक्षा और स्वच्छता का ध्यान रखें।
निष्कर्ष
अगर आप Durga Puja Ranchi 2025 में सबसे भव्य और पारंपरिक पूजा स्थलों का अनुभव करना चाहते हैं, तो श्री रामलला पूजा समिति के श्री स्वामीनारायण मंदिर ज़रूर जाएँ। यह दोनों आयोजन रांची की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।









